कविता शीर्षक
एन.सी.सी. के कर्मचारी भाई हमारे ।
कविता का उद्देश्य :-
मेरी यह कविता किसी व्यक्ति विशेष को आरोपित नही करती ना ही यह कविता किसी के दिल को ठेस पहुंचाने के लिये लिखी है
इस कविता मे मैंने जो देखा , जो महसूस किया , या जो मुझे यहा पर अनुभव हुआ उसी को मध्यनजर रखते हुये मैंने इस कविता को लिखा है ।
कविता का मूल उद्देश्य एन.सी.सी. सेक्शन व एन.सी.सी के कर्मचारियों की मार्मिक व्यथा को कविता के माध्यम आप सभी समझदार श्रोताओं के सम्मुख पहुँचाना मात्रा है ।
--::कविता ::---
एन.सी.सी. के कर्मचारी भाई हमारे
प्रॉफिट के लिए रोते हर बार बेचारे ।
कभी रिजेक्शन का रोना
तो कभी पीट मार्क का धोना ।
खूब करते काम दिन - रात बेचारे
फिर भी चिल्लाते साहब हमारे ।
मशीनें मांग रही मेन्टेन
अधिकारी दे रहे टेंशन ।
चलते - चलते मशीन तोड़ देती दम
क्यू.ए.ई. वाला बोले ऐक्यूरेसी कम ।
मेहनत करते एन.सी.सी वाले दिन- रात
एम.पी. , आर.एम.एच. वाले कर देते घात ।
वो ले जाते प्रॉफिट के 70-75 की सौगात
हम को मिलती 30-35 की दर्द भरी लात ।
ओटी पर लटकाये रखते तलवार
बोले प्रोडक्शन निकालो रोज हजार ।
प्रोडक्शन बढाने पर देते जोर
रिजेक्शन पर नही करते गोर ।
सेफ्टी का नही देते पूरा साजो - सामान
मर गये तो नही लेंगे परिवार का नाम ।
है वही सेक्शन जिसको दिया था दुबई का नाम
लेकिन अब हो रहा बाग्लादेश की तरह गुमनाम ।।
विनोद कुमार मीना
मो.न. 8698506321
एन.सी.सी सेक्शन
टि.न. 4162
(©) 2015
नोट::-- कविता मे काट-छाट करके कोपी-पेस्ट करना या तोड़ -मरोड़ कर प्रकाशित करना
(कॉपीराइट अधिनियम 1957 ) के तहत दन्डनीय अपराध माना जायेगा ।
न्यायिक क्षेत्र :- इस कविता से सम्बन्धी सभी विवादों का न्यायिक क्षेत्र सवाईमाधोपुर (राज.) होगा ।
एन.सी.सी. के कर्मचारी भाई हमारे ।
कविता का उद्देश्य :-
मेरी यह कविता किसी व्यक्ति विशेष को आरोपित नही करती ना ही यह कविता किसी के दिल को ठेस पहुंचाने के लिये लिखी है
इस कविता मे मैंने जो देखा , जो महसूस किया , या जो मुझे यहा पर अनुभव हुआ उसी को मध्यनजर रखते हुये मैंने इस कविता को लिखा है ।
कविता का मूल उद्देश्य एन.सी.सी. सेक्शन व एन.सी.सी के कर्मचारियों की मार्मिक व्यथा को कविता के माध्यम आप सभी समझदार श्रोताओं के सम्मुख पहुँचाना मात्रा है ।
--::कविता ::---
एन.सी.सी. के कर्मचारी भाई हमारे
प्रॉफिट के लिए रोते हर बार बेचारे ।
कभी रिजेक्शन का रोना
तो कभी पीट मार्क का धोना ।
खूब करते काम दिन - रात बेचारे
फिर भी चिल्लाते साहब हमारे ।
मशीनें मांग रही मेन्टेन
अधिकारी दे रहे टेंशन ।
चलते - चलते मशीन तोड़ देती दम
क्यू.ए.ई. वाला बोले ऐक्यूरेसी कम ।
मेहनत करते एन.सी.सी वाले दिन- रात
एम.पी. , आर.एम.एच. वाले कर देते घात ।
वो ले जाते प्रॉफिट के 70-75 की सौगात
हम को मिलती 30-35 की दर्द भरी लात ।
ओटी पर लटकाये रखते तलवार
बोले प्रोडक्शन निकालो रोज हजार ।
प्रोडक्शन बढाने पर देते जोर
रिजेक्शन पर नही करते गोर ।
सेफ्टी का नही देते पूरा साजो - सामान
मर गये तो नही लेंगे परिवार का नाम ।
है वही सेक्शन जिसको दिया था दुबई का नाम
लेकिन अब हो रहा बाग्लादेश की तरह गुमनाम ।।
विनोद कुमार मीना
मो.न. 8698506321
एन.सी.सी सेक्शन
टि.न. 4162
(©) 2015
नोट::-- कविता मे काट-छाट करके कोपी-पेस्ट करना या तोड़ -मरोड़ कर प्रकाशित करना
(कॉपीराइट अधिनियम 1957 ) के तहत दन्डनीय अपराध माना जायेगा ।
न्यायिक क्षेत्र :- इस कविता से सम्बन्धी सभी विवादों का न्यायिक क्षेत्र सवाईमाधोपुर (राज.) होगा ।
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